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करगली रीजनल अस्पताल को सेंट्रल हॉस्पिटल ढोरी में मर्ज करने के विरोध में आरसीएमयू का प्रदर्शन

करगली रीजनल अस्पताल को सेंट्रल हॉस्पिटल ढोरी में मर्ज करने के विरोध में आरसीएमयू का प्रदर्शन

बेरमो/डेस्क
सीसीएल अंतर्गत बीएंडके एरिया के करगली रीजनल अस्पताल को सेंट्रल हॉस्पिटल ढोरी में अस्थायी रूप से मर्ज करने के निर्णय के खिलाफ सोमवार को आरसीएमयू (राष्ट्रीय कोल मजदूर यूनियन) ने जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान यूनियन नेताओं ने अस्पताल को बचाने की मांग को लेकर प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और ज्ञापन सौंपा।
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे आरसीएमयू के क्षेत्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने महाप्रबंधक के खिलाफ नारेबाजी की। क्षेत्रीय सचिव श्यामल कुमार सरकार ने सीएमएस डॉ रतनेश जैन के आदेश को जनविरोधी बताते हुए इसका तीखा विरोध किया। प्रदर्शन में छेदी नोनिया, प्रताप सिंह, रोशन सिंह, अशोक अग्रवाल, अरुंजय सिंह, निरंजन सिंह, डोमन पासवान, जमील अंसारी, जयनाथ तांती, सुरेंद्र विश्वकर्मा, अजीत सिंह, मनोज मंडल, शरण सिंह राणा सहित सैकड़ों लोग शामिल हुए।
सीएमएस का आदेश और कर्मचारियों की चिंता
सीसीएल के सीएमएस डॉ रतनेश जैन द्वारा 10 अप्रैल को जारी आदेश में करगली रीजनल अस्पताल की इमरजेंसी सेवा को 15 अप्रैल से केंद्रीय अस्पताल ढोरी में शिफ्ट करने की बात कही गई है। इस दौरान इमरजेंसी सेवाओं का समन्वय ढोरी के सीएमओ के साथ किया जाएगा और 20 अप्रैल तक पूरी शिफ्टिंग की रिपोर्ट देने का निर्देश है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि करगली अस्पताल पर बीएंडके एरिया की 50 हजार से अधिक आबादी और 2,000 से ज्यादा कोल कर्मी निर्भर हैं। अब हार्ट अटैक, ट्रामा, सर्जरी जैसी इमरजेंसी सेवाओं के लिए ढोरी जाना पड़ेगा, जिससे समय पर इलाज में बाधा आ सकती है।
चिकित्सक और संसाधनों की भारी कमी
अस्पताल में वर्तमान में केवल तीन चिकित्सक – डॉ संतोष कुमार (जो 31 अक्टूबर 2025 को रिटायर होंगे), डॉ ए ए कुजूर और डॉ मुकेश रामू दास कार्यरत हैं। तीन अन्य चिकित्सक पीजी पढ़ाई के लिए स्टडी लीव पर हैं। एक्स-रे, ईसीजी, ऑपरेशन थियेटर और एंबुलेंस की सुविधाएं होने के बावजूद, पर्याप्त स्टाफ की कमी के कारण अस्पताल की सेवाएं सीमित हो गई हैं।
बीएंडके एरिया का उत्पादन में अहम योगदान
बीएंडके एरिया सीसीएल में कोयला उत्पादन के मामले में चौथे स्थान पर है, और चालू वित्तीय वर्ष में इसका लक्ष्य 11.8 मिलियन टन उत्पादन का है। इसके बावजूद क्षेत्र के पुराने और जरूरी अस्पतालों को बंद कर डिस्पेंसरी में बदला जा रहा है, जिससे कर्मियों और आम जनता में भारी रोष है।
मांग: करगली अस्पताल को पूरी सुविधा के साथ पुनः सशक्त किया जाए
आरसीएमयू और प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि करगली अस्पताल को मर्ज करने का निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो आंदोलन और तेज होगा। उन्होंने मांग की कि अस्पताल को डॉक्टरों और उपकरणों से युक्त कर इमरजेंसी सेवा फिर से शुरू की जाए।

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