Homeबोकारोअनिल असफलताओं से माइनिंग सरदार तक का सफर

अनिल असफलताओं से माइनिंग सरदार तक का सफर

अनिल असफलताओं से माइनिंग सरदार तक का सफर

डेस्क/सुरेन्द्र

झारखंड के बोकारो जिले के करमटिया, स्वांग के अनिल गोमिया की कहानी मेहनत, सामाजिक समर्पण और दृढ़ संकल्प की एक प्रेरणादायक मिसाल है। एक साधारण परिवार से निकलकर अनिल ने न केवल अपनी शिक्षा और करियर में उल्लेखनीय सफलता हासिल की, बल्कि सामाजिक कार्यों के माध्यम से अपने समुदाय की बेहतरी के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। करमटिया के छोटे से गांव से शुरू होकर कोल इंडिया में माइनिंग सरदार के प्रतिष्ठित पद तक पहुंचने की उनकी यात्रा हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को साकार करना चाहता है।

प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
अनिल का जन्म करमटिया, स्वांग में एक साधारण परिवार में हुआ। उनके पिता राजकुमार रविदास सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल), स्वांग में मजदूर हैं, और उनकी माता मंगरी देवी एक गृहणी हैं। अनिल तीन भाई बहनों में छोटे हैं। सीमित संसाधनों के बीच पले-बढ़े अनिल ने बचपन से ही मेहनत और शिक्षा का महत्व समझा। उनके माता-पिता ने उन्हें हमेशा पढ़ाई और आत्मनिर्भरता की प्रेरणा दी। अनिल के लिए परिवार का समर्थन उनकी सबसे बड़ी ताकत रहा, जिसने उन्हें हर चुनौती में डटकर मुकाबला करने की हिम्मत दी।

शैक्षिक यात्रा: मेहनत का परिणाम
अनिल की शैक्षिक यात्रा उनकी लगन और मेहनत का प्रमाण है। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा करमटिया के स्थानीय स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद, राधा कृष्ण विद्यालय, स्वांग से 10वीं तक की पढ़ाई पूरी की, जहां उन्होंने अपनी मेधा से सभी को प्रभावित किया। अनिल ने के .बी कॉलेज से इंटरमीडिएट (विज्ञान संकाय) में पढ़ाई की और उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। माइनिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए उन्होंने उड़ीसा के अंगुल से माइनिंग में डिप्लोमा हासिल किया। इसके बाद, अपनी शिक्षा को और आगे बढ़ाते हुए, उन्होंने रांची के राई यूनिवर्सिटी से माइनिंग में बी.टेक की डिग्री प्राप्त की। अनिल की यह शैक्षिक यात्रा आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों के बावजूद उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति का परिणाम थी।

सामाजिक कार्यों में योगदान
अनिल शुरू से ही सामाजिक कार्यों के प्रति समर्पित रहे। वे भीम आर्मी के गोमिया प्रखंड सचिव के रूप में सक्रिय रहे और डॉ. बी.आर. आंबेडकर की विचारधारा को गोमिया क्षेत्र में मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भीम आर्मी के माध्यम से, अनिल ने दलित और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उन्होंने सामाजिक जागरूकता अभियानों का नेतृत्व किया और शिक्षा व समानता के मुद्दों पर लोगों को प्रेरित किया। अनिल का मानना था कि शिक्षा और संगठन ही सामाजिक बदलाव का आधार हैं। उनकी यह सामाजिक सक्रियता ने गोमिया में एक सकारात्मक प्रभाव डाला और उन्हें समुदाय में सम्मान दिलाया।

कोल इंडिया में माइनिंग सरदार: असफलताओं से सफलता तक
अनिल का सपना कोल इंडिया में एक सम्मानजनक पद हासिल करना था। माइनिंग में डिप्लोमा और बी.टेक की डिग्री के साथ, उन्होंने कोल इंडिया के माइनिंग सरदार पद के लिए कई बार प्रयास किया। शुरुआती दो-तीन प्रयासों में असफलता ने उन्हें निराश किया, लेकिन अनिल ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी कमियों को सुधारा और अधिक मेहनत के साथ अगले प्रयासों में जुट गए। उनकी लगन अंततः रंग लाई, और उनका चयन कोल इंडिया के छत्तीसगढ़ क्षेत्र में माइनिंग सरदार के पद के लिए हुआ। वर्तमान में, अनिल इस पद पर कार्यरत हैं और अपनी जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं।

गांव में गर्व का माहौल
अनिल की इस उपलब्धि से करमटिया और गोमिया में खुशी का माहौल है। उनके परिवार, शिक्षक, और भीम आर्मी के सहयोगी उनकी सफलता पर गर्व महसूस कर रहे हैं। करमटिया के दीपक रविदास ने कहा, “अनिल ने दिखा दिया कि मेहनत और जुनून से कोई भी मंजिल हासिल की जा सकती है।” उनके शिक्षकों का कहना है कि अनिल की मेहनत और सामाजिक कार्यों के प्रति समर्पण अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा है।

प्रेरणा का स्रोत
अनिल की कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो कठिन परिस्थितियों में अपने सपनों को सच करना चाहते हैं। मेरा एक्सपीरियंस अबाउट एजुकेशन * कई बार हमें असलफता लक्ष्य से दूर कर देती है वैसे टाइम हमें अपने लक्ष्य पर दृढ़ संकल्प होके मेहनत करते रहना चाहिए , सेल्फ मोटिवेट मेरे लक्ष्य का मैंन कुंजी रहा है! वे कहते हैं, “असफलताएं हमें मजबूत बनाती हैं। मेरे माता-पिता और समुदाय का समर्थन मेरी ताकत है।” अनिल का सपना अपने करियर में आगे बढ़ने के साथ-साथ अपने समुदाय के लिए और योगदान देना है। उनकी यह यात्रा सिखाती है कि मेहनत, धैर्य, और सामाजिक समर्पण से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।

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