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खम्हरा के रजनी कान्त ने “सजनी कर गांव” से रचा इतिहास, नागपुरी संगीत में जोड़ा नया अध्याय

खम्हरा के रजनी कान्त ने “सजनी कर गांव” से रचा इतिहास, नागपुरी संगीत में जोड़ा नया अध्याय

डेस्क/सुरेन्द्र

बोकारो, झारखंड: गोमिया के छोटे से गांव खम्हरा से निकलकर रजनी कान्त ने नागपुरी और खोरठा संगीत की दुनिया में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। उनकी प्रोडक्शन कंपनी, आर कांत म्युजिक सिरीज के बैनर तले रिलीज हुआ नया नागपुरी गीत “सजनी कर गांव” ने रिलीज के साथ ही दर्शकों और श्रोताओं के दिलों में खास जगह बना ली है। इस गीत की लोकप्रियता का आलम यह है कि यह यूट्यूब और अन्य डिजिटल मंचों पर तेजी से वायरल हो रहा है। रजनी कान्त की इस उपलब्धि ने न केवल उनके गांव खम्हरा, बल्कि पूरे झारखंड को गर्व का अवसर प्रदान किया है।

गाना सुनने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें

https://youtu.be/MMEWfIHCNmw?si=l5IP7WrQ4puxWybY

“सजनी कर गांव” की शानदार प्रस्तुति
“सजनी कर गांव” एक मधुर और पारंपरिक नागपुरी गीत है, जो अपनी सादगी और झारखंड की मिट्टी से जुड़े भावों के लिए खूब सराहा जा रहा है। गीत में स्टार कास्ट के रूप में दिनेश देवा और वर्षा रितु ने अपनी शानदार अदाकारी से दर्शकों का मन मोह लिया है। गीत को सुप्रसिद्ध गायक कुमार प्रितम और अनीता बारा की जादुई आवाज ने और भी खास बनाया है। निर्देशक अधीर राज ने अपनी कुशल दृष्टि से गीत को एक आकर्षक दृश्य अनुभव में बदला है। गीत का फिल्मांकन झारखंड की हरी-भरी वादियों और ग्रामीण परिवेश में किया गया है, जो नागपुरी संस्कृति की जीवंतता को दर्शाता है। गीत के बोल और संगीत श्रोताओं को अपनी जड़ों से जोड़ने में कामयाब रहे हैं।

रजनी कान्त: एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व
रजनी कान्त का यह सफर किसी प्रेरणा से कम नहीं है। खम्हरा जैसे छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से संगीत की दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। रजनी ने न केवल नागपुरी, बल्कि खोरठा गीतों के निर्माण में भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है। उनकी यह उपलब्धि युवाओं के लिए एक मिसाल है कि छोटे से गांव से भी बड़े सपने पूरे किए जा सकते हैं। रजनी का कहना है, “मेरा उद्देश्य हमारी संस्कृति को संरक्षित करना और इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाना है।” उनके गीतों में झारखंड की संस्कृति, प्रेम और प्रकृति की खूबसूरती का अनूठा संगम देखने को मिलता है।

गांव में उत्साह का माहौल
रजनी की इस उपलब्धि से खम्हरा गांव में खुशी का माहौल है। गांव के लोग उनकी सफलता को अपनी सांस्कृतिक विरासत के प्रचार के रूप में देख रहे हैं। स्थानीय निवासी दीलिप रविदास ने कहा, “रजनी ने हमारे गांव का नाम रोशन किया है। उनके गाने हमारी बोली और संस्कृति को दुनिया तक पहुंचा रहे हैं।” युवा प्रशंसक पिन्टू ने उत्साह से कहा, “सजनी कर गांव सुनकर गर्व महसूस होता है। यह गाना हमारी जड़ों को दर्शाता है।”

नागपुरी संगीत को नई ऊंचाइयां
नागपुरी संगीत झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है। रजनी कान्त जैसे निर्माता इस संगीत को आधुनिक तकनीक और प्रस्तुति के साथ नई ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं। “सजनी कर गांव” की सफलता इस बात का प्रमाण है कि पारंपरिक संगीत को आधुनिक स्वरूप में पेश करने से यह और भी लोकप्रिय हो सकता है। रजनी का विजन है कि नागपुरी और खोरठा संगीत को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई जाए। इसके लिए वे युवा कलाकारों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर रहे हैं।

भविष्य की योजनाएं
रजनी कान्त भविष्य में और भी नए गीतों के निर्माण की योजना बना रहे हैं। उनका सपना है कि झारखंड का संगीत हर घर तक पहुंचे और इसे वैश्विक स्तर पर सराहा जाए। उनकी यह कोशिश न केवल मनोरंजन, बल्कि सांस्कृतिक संरक्षण का भी एक प्रयास है।

रजनी कान्त की मेहनत और प्रतिभा ने “सजनी कर गांव” के जरिए झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर को नया जीवन दिया है। उनकी यह उपलब्धि खम्हरा गांव और पूरे झारखंड के लिए गर्व का क्षण है। यह गीत न केवल संगीत प्रेमियों के लिए एक तोहफा है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत करने का एक शानदार प्रयास भी है।

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