छत्रपति शाहू जी महाराज और आंबेडकर
झारखंड/ सुरेन्द्र मैत्रेय
छत्रपति शाहू जी महाराज का जन्म 26 जून 1874 को कोल्हापुर राज्य में हुआ था। वे कोल्हापुर के महाराजा थे और उन्हें समाज सुधारक के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने अपने शासन काल में शिक्षा, सामाजिक न्याय, और दलितों के उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
शिक्षा और सामाजिक सुधार
शाहू जी महाराज का मानना था कि शिक्षा ही सामाजिक असमानताओं को समाप्त करने का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है। उन्होंने अपने राज्य में प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य और मुफ्त कर दी और सभी जातियों के बच्चों के लिए विद्यालय स्थापित किए। उनके द्वारा की गई शिक्षा प्रणाली ने दलितों और पिछड़े वर्गों के लिए शिक्षा के द्वार खोले।
जाति-प्रथा का विरोध
शाहू जी महाराज ने जाति-प्रथा और सामाजिक भेदभाव का कड़ा विरोध किया। उन्होंने दलितों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रदान किया और मंदिरों के द्वार सभी जातियों के लोगों के लिए खोल दिए। उनकी नीतियों ने समाज में समानता और भाईचारे का संदेश फैलाया।
आंबेडकर का समर्थन
छत्रपति शाहू जी महाराज ने डॉ. भीमराव आंबेडकर के संघर्ष का समर्थन किया और उनके प्रयासों को सराहा। उन्होंने आंबेडकर को उनकी शिक्षा के लिए आर्थिक मदद भी प्रदान की। शाहू जी महाराज और आंबेडकर दोनों ने मिलकर दलितों और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कई कदम उठाए।
छत्रपति शाहू जी महाराज और डॉ. भीमराव आंबेडकर दोनों ही भारतीय समाज के महान सुधारक थे। उन्होंने अपने-अपने तरीके से दलितों और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए। उनकी शिक्षाएं और नीतियां आज भी समाज में समानता और न्याय के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनके योगदान को भारतीय इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा और उनकी विरासत को सम्मान के साथ संजोया जाएगा।