झारखंड में माइनिंग टूरिज्म सर्किट की हुई शुरुआत, JTDC और CCL के बीच ऐतिहासिक समझौता
डेस्क
झारखंड में पर्यटन को नई दिशा देने और अज्ञात संभावनाओं को उजागर करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने एक ऐतिहासिक पहल की है। झारखंड सरकार के पर्यटन विभाग (JTDC) और कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) के बीच माइनिंग टूरिज्म सर्किट (Mining Tourism Circuit) को लेकर एक एमओयू (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
इस अवसर पर झारखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन और पर्यटन, कला-संस्कृति, खेल एवं युवा मामले विभाग के मंत्री श्री सुदिव्य कुमार उपस्थित रहे। दोनों नेताओं ने इस पहल को राज्य के पर्यटन क्षेत्र के भविष्य के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया।
🔹 क्या है ‘माइनिंग टूरिज्म सर्किट’?
यह एक अनूठी योजना है जिसके तहत झारखंड के खनन क्षेत्रों को अब पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किया जाएगा। लोग अब खदानों का दौरा कर सकेंगे, आधुनिक खनन तकनीक को देख सकेंगे और जान सकेंगे कि कैसे धरती के गर्भ से कोयला, खनिज और अन्य संसाधन निकाले जाते हैं।
इस योजना का उद्देश्य केवल पर्यटन को बढ़ावा देना ही नहीं है, बल्कि झारखंड की खनन विरासत और तकनीकी दक्षता को देश-दुनिया के सामने लाना भी है।
🔹 मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बयान:
> “झारखंड खनिज संपदा से समृद्ध राज्य है। माइनिंग टूरिज्म सर्किट के माध्यम से हम न सिर्फ इस धरोहर को दिखाएंगे, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और क्षेत्र के आर्थिक विकास का रास्ता भी खोलेंगे।”
🔹 पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार ने क्या कहा:
> “यह साझेदारी पर्यटन, शिक्षा और रोजगार का संगम है। खनन पर्यटन की यह शुरुआत देश में एक उदाहरण बनेगी।”
🔹 भविष्य की संभावनाएं:
इस परियोजना से राज्य में स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार, घरेलू व अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों का आकर्षण, और राजस्व में वृद्धि की संभावना है। साथ ही, खनन क्षेत्र की पारदर्शिता और तकनीकी ज्ञान को भी बढ़ावा मिलेगा ।
झारखंड का यह कदम पर्यटन के क्षेत्र में एक नई सोच और नवाचार का परिचायक है। खनन जैसे कठिन और तकनीकी क्षेत्र को पर्यटन से जोड़कर राज्य सरकार ने न केवल अपनी विरासत को सहेजने की दिशा में कदम बढ़ाया है, बल्कि राज्य की नई पहचान गढ़ने का कार्य भी किया है।
