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“न मंत्री पद का मोह, न राजनीति से लाभ की चाह — फिर भी गरीबों के घर-घर पहुंच रहे ये पूर्व मंत्री, जानिए कौन हैं ये मसीहा!”

“न मंत्री पद का मोह, न राजनीति से लाभ की चाह — फिर भी गरीबों के घर-घर पहुंच रहे ये पूर्व मंत्री, जानिए कौन हैं ये मसीहा!”
गोमिया/डेस्क
आज के दौर में जब अधिकांश राजनेता राजनीति को लाभ और पैसे का जरिया मानते हैं, वहीं गोमिया के पूर्व विधायक एवं पूर्व मंत्री माधव लाल सिंह एक मिसाल हैं। वर्ष 1985 से 2014 तक चार बार विधायक और बिहार-झारखंड सरकार में मंत्री रहे माधव लाल सिंह ने न सिर्फ राजनीति को सेवा का माध्यम बनाया, बल्कि अब जब वे सक्रिय राजनीति से संन्यास ले चुके हैं, तब भी पेंशन की राशि से गरीबों की मदद कर रहे हैं।

शनिवार को श्री सिंह ने गोमिया प्रखंड के दंडरा पंचायत के दंडरा गांव और खर्चा बेड़ा टोला का दौरा किया। उन्होंने बेंगलुरु में कार्य के दौरान मृत प्रवासी मजदूर महावीर मांझी के परिजनों से मुलाकात कर शोक संवेदना व्यक्त की और आर्थिक सहायता के साथ फल एवं खाद्य सामग्री प्रदान की।
इसके साथ ही श्री सिंह ने बज्रपात से मृत अनिता देवी और उनके पुत्र के परिजनों से भी भेंट की और हरसंभव सरकारी मदद का भरोसा दिलाया। उन्होंने मौके से ही गोमिया बीडीओ को कॉल कर आवास एवं अन्य योजनाओं का लाभ देने की बात कही और निजी स्तर से भी सहायता दी।
श्री सिंह का जनसेवा का जज़्बा यहीं नहीं रुका। उन्होंने चुटे पंचायत के चेइयाटॉड गांव में जलेश्वर महतो की बीमार मां से मिलकर उसकी कुशलता पूछा और उन्हें साड़ी, फल, व खाद्य सामग्री भेंट की। इसके अलावा उन्होंने दर्जनों गरीब महिलाओं को साड़ी वितरित की और जरूरतमंदों की आर्थिक मदद की।


सेवा ही संकल्प
पूर्व मंत्री माधव लाल सिंह की पहचान साफ-सुथरी राजनीति और ईमानदार छवि के लिए रही है। चार बार विधायक और मंत्री रहने के बावजूद कोई भ्रष्टाचार का दाग नहीं, न ही कभी सत्ता के लोभ में पड़े। राजनीति से रिटायर होने के बाद भी वे जनसेवा के पथ पर निःस्वार्थ भाव से सक्रिय हैं। वे पेंशन की राशि का उपयोग समाज के अंतिम व्यक्ति की मदद में कर रहे हैं – जो उन्हें आम नेताओं से अलग बनाता है।
श्री सिंह का जीवन इस बात का प्रमाण है कि राजनीति अगर निष्ठा और सेवा से की जाए, तो समाज को दिशा दी जा सकती है। गोमिया के लोग उन्हें एक नेता नहीं, बल्कि जनसेवक मानते हैं।
इस मौके पर जमील अख्तर उर्फ हीरो, वकील अहमद, पंकज राम, धर्मेंद्र भंडारी, हबीबुल्लाह अंसारी उर्फ चैता टाइगर, आकाश कुमार, कौशल्या देवी, छात्रधारी महतो, महादेव महतो, हरेंद्र महतो, जसआ देवी, आशा देवी, जशोदा देवी, कलेश्वरी देवी, मनोज महतो, दीपचंद देवी, रतनी देवी, रुकवा देवी, दीनू मांझी, राजेश मांझी, सुकराम मांझी, संतोषी देवी समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण इसके गवाह बने।

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