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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिता दिशोम गुरु शिबू सोरेन के दशकर्म में की परंपरा का पालन

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिता दिशोम गुरु शिबू सोरेन के दशकर्म में की परंपरा का पालन

सोशल मीडिया पर साझा किया भावनात्मक संदेश
डेस्क
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज अपने पिता और झारखंड आंदोलन के प्रणेता, दिशोम गुरु शिबू सोरेन के दशकर्म के अवसर पर सोशल मीडिया पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। उन्होंने पोस्ट में लिखा—
“झारखंडी सभ्यता, संस्कृति और परंपरा को समर्पित…
झारखंड राज्य निर्माता वीर दिशोम गुरुजी को श्रद्धांजलि अर्पित…
वीर दिशोम गुरु शिबू सोरेन अमर रहें!
वीर दिशोम गुरु शिबू सोरेन जिंदाबाद!”
मुख्यमंत्री ने अपने संदेश के माध्यम से न केवल अपने पिता के प्रति सम्मान और प्रेम व्यक्त किया, बल्कि झारखंड की सांस्कृतिक पहचान—सरना और सनातन—को भी प्रमुखता से सामने रखा।

राजनीतिक और सांस्कृतिक संदेश
हेमंत सोरेन ने दशकर्म के दौरान पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए यह स्पष्ट संदेश दिया कि झारखंड की अस्मिता उसकी सांस्कृतिक जड़ों में निहित है। राजनीतिक तौर पर भी यह संदेश अहम माना जा रहा है। विपक्षी दल अक्सर मौजूदा सरकार को हिंदू-मुस्लिम राजनीति के मुद्दे पर कठघरे में खड़ा करते रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने इस कदम से यह दिखा दिया कि वे झारखंड की मौलिक संस्कृति को सर्वोपरि मानते हैं।


दिशोम गुरु का योगदान

दिशोम गुरु शिबू सोरेन न केवल झारखंड आंदोलन के महानायक थे, बल्कि उन्होंने आदिवासी समाज, किसान, मजदूर और वंचित वर्ग के अधिकारों की लड़ाई में अपना जीवन समर्पित किया। उन्हें झारखंड राज्य निर्माण का प्रमुख स्तंभ माना जाता है।
समाज में गूंजा संदेश
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हेमंत सोरेन का यह सांस्कृतिक और भावनात्मक संदेश लंबे समय तक याद रखा जाएगा। इसने न केवल उनके पिता की विरासत को सम्मानित किया, बल्कि झारखंड की मूल पहचान और परंपराओं को भी सशक्त रूप से स्थापित किया।

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