सरकारी दफ्तर बने मुसीबत,दिव्यांग जन कर रहे हैं मिन्नत
गोमिया
प्रखंड से डीसी कार्यालय, पंचायत सचिवालय से न्यायालय तक जाने के लिए निःशक्त दिव्यांगों के लिए कोई सुव्यवस्थित मार्ग नहीं नहीं है। उनकी मांग है कि दिव्यांग जनों के लिए हर कार्यालय में रैंप बना दिया जाय ताकि उनकी पहुंच आसान हो सके। उनका कहना है कि वे तीन पहिया स्कूटी से अपने निजी कार्यों के लिए कार्यालय तक तो पहुंच जाते हैं, लेकिन अधिकारियों तक नहीं पहुंच पाते हैं, उन्हें दूसरे लोगों की सहायता लेनी पड़ती है। और जब उन्हें ऐसा करना पड़ता है तब उन्हें ग्लानि महसूस होती है। इसलिए वे सभी कार्यालयों में रैंप बनाने की मांग कर रहे हैं ताकि वे आसानी से अधिकारियों तक पहुंच सके और अपना काम करा सकें।
इस संबंध में गोमिया प्रखंड के सरहचिया पंचायत अंतर्गत तेनुघाट तीन नंबर कॉलोनी के अधिवक्ता सह दिव्यांग राकेश कुमार के नेतृत्व में एक अनुरोध पत्र बेरमो एसडीएम और गोमिया बीडीओ को दिया गया है। उन्होंने मांग की है कि सरहचिया सहित अन्य पंचायतों में दिव्यांग के लिए कोई रैंप की व्यवस्था नहीं है। इसलिए रैंप बनवा दें। इसके अलावा उन्होंने अपनी वेदना साझा करते हुए कहा कि वे तेनुघाट कोर्ट में प्रैक्टिस भी करते हैं। जब स्वस्थ थे तब उन्हें कोर्ट के नीचे से लेकर ऊपरी तल्ला के कक्ष तक जाने में कोई परेशानी नहीं होती थी, लेकिन एक दुर्घटना के बाद वे असमर्थ हो गए हैं। कोर्ट के ऊपरी तल्ला में मुकदमे की अपील और सुनवाई के लिए नहीं जा पाते हैं। ऐसी ही स्थिति डीसी, अनुमंडल और प्रखंड कार्यालय में भी है। दिव्यांग जनों के लिए सरकार बड़ी बड़ी बात करती है, लेकिन कार्यालय भवन निर्माण के समय उन्हें यह याद नहीं रहता है कि देश में कुछ दिव्यांग जन भी हैं। उनके लिए क्या व्यवस्था है? उन्होंने कहा कि जहां मतदान केंद्र है वहां रैंप जरूर बना हुआ है ताकि वे वोट दे सकें। सरकार बना सकें। इसके बाद वे सरकार के काम के नहीं रह जाते हैं। उन्होंने कहा कि पंचायत सचिवालय के प्रज्ञा केंद्र की अधिकांश सेवाएं जैसे पेंशन निकासी, आयुष्मान कार्ड, राशन कार्ड आदि के लिए बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य होता है। उन्हें वहां जाना पड़ता है, लेकिन वे लाचार हैं।
राकेश कुमार के अलावा विकास यादव, लक्ष्मी देवी, संतोष भगत, महबूब अंसारी और गौरव मुखर्जी सहित कई दिव्यांगजन अनुरोध पत्र में अपना हस्ताक्षर किया है। इन सभी ने प्रशासन से जल्द कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में किसी भी दिव्यांगजन को ऐसी असुविधा का सामना न करना पड़े।