Homeबोकारोसाहिल का करमटिया (स्वांग, गोमिया) से JNU तक का प्रेरणादायक सफर

साहिल का करमटिया (स्वांग, गोमिया) से JNU तक का प्रेरणादायक सफर

साहिल का करमटिया (स्वांग, गोमिया) से JNU तक का प्रेरणादायक सफर
डेस्क /सुरेन्द्र
झारखंड के बोकारो जिले के छोटे से गांव करमटिया, स्वांग (गोमिया) के साहिल कुमार की कहानी कठिनाइयों पर विजय, मेहनत और अटूट संकल्प की एक मिसाल है। साहिल, जिनकी माता ननकी देवी ने अकेले ही उन्हें पाला और उनकी शिक्षा के लिए हर संभव प्रयास किया, ने अपनी मेधा और लगन से न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे गांव का नाम रोशन किया है। उनकी यात्रा, जो करमटिया के छोटे से गांव से शुरू होकर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) तक पहुंची, हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी बड़े सपने देखता है।
कठिन शुरुआत और मां का संघर्ष
साहिल का बचपन आसान नहीं था। मात्र 3 साल की उम्र में उनके पिता स्वर्गीय महेश रविदास का देहांत हो गया। इसके बाद उनकी मां ननकी देवी ने अकेले ही परिवार की जिम्मेदारी संभाली। ननकी देवी ने कठिन परिस्थितियों में भी साहिल की शिक्षा के लिए संसाधन जुटाए। सीमित आय और सामाजिक चुनौतियों के बीच, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और साहिल को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया। साहिल बताते हैं, “मेरी मां मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं। उन्होंने हर मुश्किल में मेरा साथ दिया और मुझे हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।”
मेधावी छात्र और शैक्षिक उपलब्धियां
साहिल शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल रहे। उनकी प्रतिभा तब सामने आई जब उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा में बोकारो जिला में दूसरा स्थान हासिल किया। यह उपलब्धि उनके लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव थी, जिसने उनके आत्मविश्वास को और मजबूत किया। मैट्रिक के बाद, साहिल ने रांची के प्रतिष्ठित सेंट जेवियर्स कॉलेज में दाखिला लिया और इंटरमीडिएट साइंस की पढ़ाई पूरी की। यहां उन्होंने अपनी मेधा का परिचय देते हुए उत्कृष्ट अंकों के साथ उत्तीर्णता हासिल की।
साहिल की शैक्षिक यात्रा यहीं नहीं रुकी। उन्होंने देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में पॉलिटिकल साइंस में स्नातक के लिए प्रवेश लिया। BHU में पढ़ाई के दौरान साहिल ने न केवल अकादमिक उत्कृष्टता हासिल की, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर गहरी समझ भी विकसित की। उनकी यह उपलब्धि उनके लिए एक बड़ा कदम थी, क्योंकि एक छोटे से गांव से निकलकर इतने बड़े मंच तक पहुंचना आसान नहीं था।
JNU में मास्टर्स के लिए चयन
साहिल की मेहनत का सबसे बड़ा इनाम तब मिला जब उनका चयन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स ऑफ आर्ट्स (एमए) के लिए हुआ। JNU, जो अपनी कठिन प्रवेश प्रक्रिया और वैचारिक विविधता के लिए विश्वविख्यात है, में प्रवेश पाना अपने आप में एक असाधारण उपलब्धि है। साहिल का यह चयन उनके वर्षों की मेहनत, लगन और मां के अथक समर्थन का परिणाम है। इस उपलब्धि ने न केवल साहिल और उनके परिवार को गर्व का अनुभव कराया, बल्कि पूरे करमटिया और गोमिया क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ा दी।
गांव में खुशी का माहौल
साहिल की इस उपलब्धि पर उनके गांव करमटिया और स्वांग में उत्साह का माहौल है। स्थानीय समुदाय और उनके शिक्षकों ने साहिल की मेहनत और सफलता की जमकर सराहना की है। गांव के संदीप रविदास ने कहा, “साहिल ने दिखा दिया कि अगर मन में जुनून हो और मेहनत करने की लगन हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।” उनके शिक्षकों का कहना है कि साहिल की यह सफलता अन्य बच्चों के लिए प्रेरणा का काम करेगी और उन्हें बड़े सपने देखने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
प्रेरणा का स्रोत
साहिल की कहानी उन तमाम युवाओं के लिए एक प्रेरणा है जो छोटे शहरों, गांवों या कठिन परिस्थितियों से आते हैं। उन्होंने दिखाया कि संसाधनों की कमी या पारिवारिक चुनौतियां सपनों को हासिल करने में बाधा नहीं बन सकतीं। साहिल कहते हैं, “मेरी मां ने मुझे सिखाया कि मेहनत और धैर्य से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। मैं चाहता हूं कि मेरी कहानी अन्य बच्चों को प्रेरित करे कि वे अपनी परिस्थितियों को बहाना न बनाएं और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ें।”
भविष्य की योजनाएं
JNU में पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स की पढ़ाई के साथ साहिल का सपना समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का है। उनकी रुचि सामाजिक न्याय, समानता और बेहतर प्रशासन के क्षेत्र में है। वे भविष्य में सिविल सेवा या शैक्षणिक क्षेत्र में योगदान देना चाहते हैं, ताकि समाज के कमजोर वर्गों के लिए काम कर सकें और अपने जैसे अन्य युवाओं को प्रेरित कर सकें। साहिल का मानना है कि शिक्षा ही वह हथियार है जो समाज को बदल सकता है।
मां ननकी देवी: साहिल की सबसे बड़ी ताकत
साहिल की इस सफलता के पीछे उनकी मां ननकी देवी का अहम योगदान है। अकेले दम पर साहिल को पालने और उनकी शिक्षा के लिए संसाधन जुटाने वाली ननकी देवी की मेहनत और त्याग को साहिल हमेशा याद रखते हैं। वे कहते हैं, “मेरी हर सफलता मेरी मां को समर्पित है। उनकी मेहनत और विश्वास ने मुझे यहां तक पहुंचाया।” ननकी देवी भी अपने बेटे की सफलता पर गर्व महसूस करती हैं और कहती हैं, “मुझे हमेशा भरोसा था कि साहिल कुछ बड़ा करेगा। मैं चाहती हूं कि वह और आगे बढ़े और समाज के लिए कुछ अच्छा करे।”
साहिल कुमार का करमटिया (स्वांग, गोमिया) से JNU तक का सफर एक ऐसी कहानी है जो मेहनत, लगन और मां के अटूट समर्थन की ताकत को दर्शाती है। एक छोटे से गांव से निकलकर, पिता के असामयिक निधन और आर्थिक तंगी के बावजूद, साहिल ने अपनी मेधा और दृढ़ संकल्प से देश के शीर्ष विश्वविद्यालयों में अपनी जगह बनाई। उनकी यह यात्रा हर उस व्यक्ति को प्रेरित करती है जो अपने सपनों को हकीकत में बदलना चाहता है। साहिल की उपलब्धि न केवल उनके परिवार और गांव, बल्कि पूरे झारखंड और देश के लिए गर्व का विषय है। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी बाधा आपको अपने लक्ष्य से नहीं रोक सकती।
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