13 साल में 5 रंगेहाथ धराए, एसीबी की कार्रवाई से दहशत में है महकमा
अनंत/गोमिया
सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार व्याप्त है यह किसी से छिपा हुआ नहीं है, लेकिन रिश्वत लेते जब अधिकारी या कर्मचारी पकड़े जाते हैं तब उसकी चर्चा ज्यादा होती है। खलबली मच जाती है ये क्या हो गया। अलबत्ता समय गुजरने के बाद स्थिति सामान्य हो जाती है और कार्यालय में काम पुनः पूर्व की भांति होने लगती है। मगर गोमिया में ऐसा नहीं हुआ। यहां एसीबी ने एक माह में दूसरी बार दस्तक दे दी। वही एसीबी के डीएसपी सहित अन्य पदाधिकारी। लेकिन इस बार वेशभूषा अलग था। रेड पड़ते ही तहलका मच गया। लोग जानने के लिए उत्सुक। इस बार कौन गया? सामने आया शिक्षा विभाग में कार्यरत अनुबंध कर्मी लेखापाल। वैसे बता दें कि गोमिया प्रखंड में बीते 13 वर्षों में अब तक 5 अधिकारी समेत कर्मचारी एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के हत्थे चढ़ चुके हैं। इधर लगातार छापेमारी से प्रखंड, अंचल और शिक्षा विभाग में काम कर रहे कर्मियों में डर का माहौल है।
सबसे ताजा मामला 30 अप्रैल 2025 का है, जब शिक्षा विभाग में अनुबंध पर पदस्थापित लेखापाल होरिल प्रजापति को एसीबी ने 3500 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ लिया। इससे पहले 24 मार्च को राजस्व कर्मचारी ललन कुमार 20 हजार रुपये घूस लेते गिरफ्तार किए गए थे। महज एक महीने छह दिन में दो विभागों के कर्मियों की गिरफ्तारी ने सरकारी तंत्र की सच्चाई उजागर कर दी है।
सबसे पहले कब हुई थी रेड
एसीबी की रेड की शुरुआत गोमिया में वर्ष 2011 में हुई थी, जब कनीय अभियंता के.के. द्विवेदी को मनरेगा योजना में 2000 रुपये घूस लेते पकड़ा गया था। इसके बाद 2012 में पंचायत सचिव सुदामा तुरी एक हज़ार रुपये और 2017 में राजस्व कर्मचारी रविंद्र पात्रो 6000 रुपये की रिश्वत लेते पकड़े गए।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ये अधिकारी और कर्मचारी आम जनता को लगातार परेशान कर रहे थे। लोगों की शिकायतें जब अनसुनी रही, तो उन्होंने एसीबी से संपर्क साधा। इन कार्रवाइयों ने सरकारी कार्यालयों में खलबली मचा दी है। लगातार हो रही छापेमारी से सरकारी अधिकारी और कर्मचारी सकते में हैं। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या इन कार्रवाइयों से सबक लेंगे या अभी और भी कार्रवाई देखने को मिलेगा?