23 जून 1757 प्लासी युद्ध और 1 जनवरी 1818 भीमा कोरेगांव का युद्ध मान,सम्मान और स्वाभिमान का युद्ध : डाॅ आंबेडकर
झारखंड/सुरेन्द्र मैत्रेय
डॉ. भीमराव आंबेडकर ने अपने भाषण और लेखन में यह स्पष्ट किया कि ब्रिटिश सरकार ने अछूतों को सार्वजनिक सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिलाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। उन्होंने विशेष रूप से सेना में अछूतों के योगदान और अंग्रेजों द्वारा उन्हें दी गई मान्यता पर ध्यान केंद्रित किया। आंबेडकर ने यह भी विश्लेषण किया कि अंग्रेजों की भारत पर विजय एक असाधारण घटना थी, और इसे समझने के लिए विभिन्न ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्यों का विश्लेषण किया।
ब्रिटिश सरकार के कदम:
सेना में भर्ती:
आंबेडकर ने सेना में अछूतों की भर्ती को महत्वपूर्ण कदम माना। अंग्रेजों ने भारतीय सेना में अछूतों को भर्ती करना शुरू किया, जिससे उन्हें एक पहचान और अवसर मिला।
सेना में अछूतों की भागीदारी ने न केवल उनके आर्थिक और सामाजिक स्थिति को सुधारा, बल्कि उन्हें समाज में सम्मान भी दिलाया।
शिक्षा और नौकरियाँ:
अंग्रेजों ने अछूतों के लिए शिक्षा के दरवाजे खोले, जिससे वे सरकारी नौकरियों में भी प्रवेश पा सके।
आंबेडकर ने अंग्रेजों की नीतियों की सराहना की, जिसने अछूतों को विभिन्न सार्वजनिक सेवाओं में प्रवेश करने में मदद की।
भारत पर ब्रिटिश विजय की विशिष्टता:
आंबेडकर ने भारत पर ब्रिटिश विजय को दो मुख्य कारणों से असाधारण घटना माना:
प्राचीन और सुव्यवस्थित राज्यों पर विजय:
पंद्रहवीं शताब्दी के अंत में वास्को डी गामा द्वारा खोजे गए देशों की तरह, भारत भी एक घनी आबादी वाला देश था, जिसमें प्राचीन, विस्तृत और सुव्यवस्थित राज्य थे।
इसके विपरीत, कोलंबस द्वारा खोजे गए देश कम आबादी वाले थे और उनके राज्य अल्पविकसित थे।
विजय की अवधि:
भारत पर ब्रिटिश विजय 1757 से 1818 के बीच हुई। यह एक महत्वपूर्ण अवधि थी जिसमें अंग्रेजों ने धीरे-धीरे और संगठित तरीके से भारत को जीत लिया।
1818 में जहाँ महार सैनिकों ने अपने शौर्य और साहस का पराक्रम दिखाया
1757 प्लासी युद्ध में दुसाध सैनिकों ने नवाब सिराजुद्दौला की सेना को परास्त किया
1757 में प्लासी की लड़ाई और 1818 में कोरेगांव की लड़ाई इन विजय अभियानों के महत्वपूर्ण मील के पत्थर थे।
आंबेडकर का विश्लेषण:
आंबेडकर ने यह स्पष्ट किया कि भारत पर ब्रिटिश विजय का यह इतिहास न केवल सैन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, बल्कि सामाजिक सुधार के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण था। ब्रिटिश विजय ने अछूतों को एक अवसर प्रदान किया, जिससे वे समाज में एक सम्मानजनक स्थान प्राप्त कर सके। ब्रिटिश शासन के दौरान लागू की गई नीतियों और सुधारों ने अछूतों के सामाजिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसे आंबेडकर ने विशेष रूप से सराहा।
आंबेडकर का यह दृष्टिकोण ऐतिहासिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने अछूतों के अधिकारों और उनकी सामाजिक स्थिति को सुधारने के लिए ब्रिटिश नीतियों की प्रासंगिकता पर जोर दिया।
DR. BABASAHEB AMBEDKAR
WRITINGS AND SPEECHES
Volume No. : 12
Page no. : 83