गोमिया में राथो साव ने की रथयात्रा की शुरूआत, होसिर का गोसेटांड़ बना रथटांड़
डेस्क/ अनंत
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का महोत्सव आज देश के कई हिस्सों में मनाया जा रहा है. गोमिया प्रखण्ड के गोमियाडीह और होसिर में भी रथयात्रा आयोजन किया जाता है. इन दोनों स्थानों पर आसपास के बडी संख्या में श्रद्धालु शिरकत करते हैं और भगवान जगन्नाथ की रथ को श्रद्धापूर्वक खीच कर परपंरा के अनुसार गंतव्य स्थान तक ले जाते हैं.
गोमिया में कब हुई शुरूआत
गोमिया में रथयात्रा की शुरुआत की कहानी भी रोचक है. गोमिया के राथो साव एक धार्मिक प्रवृति का व्यक्ति था. वह पूजा पाठ और धार्मिक कार्य में बढ चढ कर हिस्सा लेता था. इनके धर्म के प्रति आस्था को देखकर एक दिन ज्ञानी साव, गोमिया के पूर्व प्रमुख सीताराम, गुलाब साव, मानीक साव, सहित अन्य पन्द्रह बीस लोगों ने रथयात्रा निकालकर रथपूजा करने का निर्णय लिया. पहली बार 1952 में गोमिया हाई स्कूल के सामने उस जमाने में वहॉं स्कूल नही थी, रथपूजा का आयोजन किया गया. रातभर आसपास के ग्रामीणों के सार्गीद में पूजा पाठ हुई और हलवा पूडी का वितरण किया गया. लगातार कुछ वर्ष पूजा होने के बाद राथों साव का निधन होने के पश्चात उनके अनुज भ्राता ने इस परपंरा को जारी रखा, लेकिन बीच में दो साल रथपूजा नहीं हो सकी थी.
दूसरे पीढी के लोगों ने नियमित करने का लिया संकल्प
अनिष्ट होने की अंशका पर गोमिया के भदवा खेत, गोमियाडीह, बेलाटांड, सिंगली टोला के ग्रामीणों ने एक बार फिर रथपूजा और मेला का आयोजन प्रारंभ किया गया. इस बार लटलू रविदास, रघुनीराम, बाबूलाल, नन्हकु राम, कोका, मधु, बंधु, श्यामलाल, हरि, रामलाल, कारू एवं गुजर राम ने रथपूजा एवं रथयात्रा को नियमित रूप से करने का बीडा उठाया. अब लगातार गोमिया में रथपूजा का आयोजन किया जा रहा है. पूर्वजों द्वारा शुरू किये इस रथयात्रा को मौजूदा समय में कमिटी के अध्यक्ष नारायण रविदास, कार्यकारी अध्यक्ष बासदेव, सचिव कन्हाई, उप सचिव राम किशुन, कोषाध्यक्ष मनोज, उप कोषाध्यक्ष लालू, बालगोविन्द, इसके अलावा निगरानी समिति में अजय कुमार, चंद्रदेव, त्रिपुरारी, चामू, लालू रविदास, शिवनारायण रविदास संयोजक गोविंद और कोपेश्वर यादव, सदस्य में जगरनाथ, गोविन्द, बसंत, शीतल, गिरधारी, सुरेन्द्र, भुवनेश्वर, रामकिशुन सहित अन्य लोग शामिल हैं.
होसिर का गोसेटांड बना रथटांड
गोमिया के होसिर स्थित रथटांड में करीब 1949 से रथयात्रा का आयोजन किया जाता है. ग्रामीण बताते हैं कि इस गांव का नाम गौसेटांड था, मगर जब से यहॉं रथयात्रा और रथपूजा होने लगी तब से इस गांव का नाम रथटांड हो गया. यहॉं शीतल गोस्वामी ने सर्वप्रथम रथपूजा का शुरूआत किया. बताते हैं कि उस जमाने में बैलगाडी के चक्के से रथ को खींचा जाता था. बाद के दिनों में लकडी का चाक पर रथयात्रा निकाला जाने लगा. इधर पर्यावरण को ध्यान में रखकर लकडी के जगह पर अब लोहे का चाक बनाया गया है, जिस पर जगन्नाथ भगवान को मौसीबाडी तक ले जाया जाता है. इस पिछले वर्ष 2019 से सुनील कुमार देव रथ मेला का आयेजन में जुट गए. उन्होंने बताया कि शीतल गोस्वामी के बाद गांव के उमाशंकर तिवारी, जलेश्वर प्रजापति जैसे मानिंद व्यक्ति इस मेला का आयेजन किया करते थे और लगातार कई वर्षो तक करते रहे. बीच के कुछ वर्षो में आयोजन बंद भी हो गया था, मगर गांव के सहयोग से पुनः चालू हुआ जो निरंतर जारी है. गांव के रंजीत साव, दीपक नाथ देव, सुमन नाथ देव, अमित साव, गौरण गोस्वामी, राजू तिवारी सहित अन्य लोग रथ मेला को सफल बनाने में लगे हुए हैं.